बिन माँगे सब कुछ दीया ऐ मालिक, तुझसे हर दूआ मैं मैने बस यही है माँगा की अच्छा है जो मेरे लीये वो मेरे पास आये, और जो मेरे लीये है बुरा, वो मुझसे कोसो दूर होजाये. फिर क्यू आज भी कोई दूर जाता है इंसान मुझसे तेरा, ज़िन्दगी से लेजाता है वो हर एक सवेरा? क्यू आज भी दिल थोड़ा दुखता है कुछ रिशतों को गवाके? क्यू आँसू बनके बेह जाते हैं आँखों से कुछ लोग? क्यू याद आते हैं कुछ लोग दूर जाके? ऐ मालिक, तूने हर बार जादू सा ज़िन्दगी मैं है मेरी कीया, बिन माँगे ही तूने मुझे सब कुछ है दीया. बस अच्छे और सच्चे लोगों से मिलवाना, जो ढूंडे .गम मैं भी खुश रेहने का हर एक बहाना. -श्रिया कत्याल
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