ज़रा सोच समझकर अपने रंग दिखाना!
ज़रा सम्भलकर बोलना,
अपनी बातों से कीसिको चोट ना पहुँचाना!
वादे ज़रा सोचकर करना,
तभी करना अगर उनहे हो निभाना!
तभी पास कीसिके जाना,
जब उसे दिलसे अपना हो तुमने माना!
ज़िन्दगी कीसिकी बर्बाद होजाये,
काम एसा गलतीसे भी मत करजाना!
ज़रा सोच समझकर अपने रंग दिखाना!
-श्रिया कात्याल
ज़रा सम्भलकर बोलना,
अपनी बातों से कीसिको चोट ना पहुँचाना!
वादे ज़रा सोचकर करना,
तभी करना अगर उनहे हो निभाना!
तभी पास कीसिके जाना,
जब उसे दिलसे अपना हो तुमने माना!
ज़िन्दगी कीसिकी बर्बाद होजाये,
काम एसा गलतीसे भी मत करजाना!
ज़रा सोच समझकर अपने रंग दिखाना!
-श्रिया कात्याल
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