आशीयाना समुद्र के तट पे बनाया,
और लेहरों से तू घबराया?
शहर के बीचों-बीच घर बनाया,
और चहल-पहल, शोर-शराबा ना भाया?
जंगल मैं रहते हो,
और जानवरों का ख्वोफ है पाला?
पहाड़ो पे रहने का शौंक है,
और हवा से बैर कर डाला?
दुनिया की सच्चायी से,
मत भागो मेरे भाई!
एसा नहीं हुआ है आज तक की,
दुनिया मैं जो आये,
वो लोगों की लगती बातों से बचजाये!
कुछ तो लोग कहेगे,
लोगों का काम है कहना!
मगर,भूल-भाल के ये सब,
अच्छे कर्म करते जाओ तुम,
अपने सपनो की ओर बड़ते जाओ तुम!
बस इतना ही है तुम्से कहना!
-श्रिया कात्याल
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और लेहरों से तू घबराया?
शहर के बीचों-बीच घर बनाया,
और चहल-पहल, शोर-शराबा ना भाया?
जंगल मैं रहते हो,
और जानवरों का ख्वोफ है पाला?
पहाड़ो पे रहने का शौंक है,
और हवा से बैर कर डाला?
दुनिया की सच्चायी से,
मत भागो मेरे भाई!
एसा नहीं हुआ है आज तक की,
दुनिया मैं जो आये,
वो लोगों की लगती बातों से बचजाये!
कुछ तो लोग कहेगे,
लोगों का काम है कहना!
मगर,भूल-भाल के ये सब,
अच्छे कर्म करते जाओ तुम,
अपने सपनो की ओर बड़ते जाओ तुम!
बस इतना ही है तुम्से कहना!
-श्रिया कात्याल
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I love this...awesome
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