नज़रिया कोई भर पेट खा रहा है, तो कोई खाली पेट जाग कर अपनी रातें बिता रहा है! कोई महलों का है शहज़ादा, तो किसी के पास घर भी नहीं सीधा-साधा! कोई बड़ी- बड़ी गाड़ियों में घूमता है, तो कोई मीलो पैदल चलकर धरती को रोज़ चूमता है! कोई शांत स्वरुप है, है खुशमिजाज़! तो किसी के हिस्से है सिर्फ गुस्से भरे चिड़चिड़े अंदाज़! कोई खूब सारी दुआओं का, प्यार का है हिस्सेदार, तो किसी के लिए दुख और नफ़रत का है यह संसार! हर एक इंसान अपने-अपने कर्म काट रहा है, कोई अपने दुखड़े दुनिया को सुनाने में लगा है, तो कोई हर गली में खुशियां बांट रहा है! मालिक ने तो अपने हर एक बच्चे को कुछ ना कुछ खास सिखा कर भेजा है यहां, किसीकी झोली खाली नहीं है, बस अपना-अपना है नज़रिया! -श्रिया कत्याल
Positive thinking is contagious and addictive! Choose it with every breath!