लेखक
कोई मेरी हजारों बातें सुने,
कोई थोड़ासा प्यार जताए,
कोई तो हो आखिर जो मेरे नखरे उठाएं!
कोई जिस पर हक जता सकू,
क्या हूं मैं खुलकर उससे कहूं!
कोई जो मेरी अच्छाइयां गिने
और गलतियां छिपाएं,
कोई जो मुझे जीना सिखाएं!
कोई ऐसा जो मुझसे पूछे कि मैं क्यों रोई
नाकी डांट के चुप कराए!
कोई ऐसा जो परछाई की तरह साथ निभाए!
दिल मासूम है
कोई ऐसा जो इसे समझ पाए!
मगर आज लगता है कि
अगर कोई ऐसा जिंदगी में पैदा होता
तो मेरे अंदर का लेखक कभी जन्म ना लेता!
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