बुरे कर्म करते नहीं लोग, होजाते हैं !
इस तेज़ रफतार ज़िन्दगी मे क्या सही और क्या गलत,
ये रुक कर सोचने का समय हम कहा पाते हैं ?
आगे निकल ने की भाग दोड़ मे कितना कुछ हम
पीछे छोड़ते जा रहे हैं,
पैसा कमा के भी हम कितने गरीब होते जा रहे हैं !
अंदर की दुनिया हमारी जब तक शांत नहीं होगी,
तब तक लगेगा अत्यचार बहार का संसार,
जब भीतर से होगे खुश
तभी बांट पाओगे तुम औरोँ को ढ़ेर सारा प्यार!
बुरे कर्म करते नहीं लोग,
बस होजाते हैं !
-श्रिया कत्याल
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