कुछ रस्तों पे कांच के तुकड़े गिरे होते हैं,
और कुछ पे कांटे ऊगते हैं!
पड़े हूएे कांच के तुकड़े तो साफ कर सकते हैं हम,
मगर ऊगते हूएे काटें पूरे सफर मे चुभते हैं ...
-श्रीया कत्याल
और कुछ पे कांटे ऊगते हैं!
पड़े हूएे कांच के तुकड़े तो साफ कर सकते हैं हम,
मगर ऊगते हूएे काटें पूरे सफर मे चुभते हैं ...
-श्रीया कत्याल
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