मैं रोयी,
आवाज़ लगायी
जीने की वजह उसे बतायी!
मगर उसने जाना ही था,
मेरे हिस्से छोड़के तन्हाई!
कुछ आंसू बहाये,
कुछ मुस्कुराहटो के पीचे छिपाये,
फिर भी उसे रोक ना पायी,
क्यूंकी उसने जाना ही था,
मेरे हिस्से छोड़के तन्हाई!
वो जो हर सांस के साथ याद आता था,
जीने की वजह जो कहलाता था,
उसने एक दिन आखिर जाना ही था,
मेरे हिस्से छोड़के तन्हाई!
रिश्तों की, वादों की, अपनो की, प्यार की कदर है जिनको,
अक्सर उनके हिस्से आती है तन्हाई,
यही है इस जीवन की कड़वी सच्चाई...
-श्रीया कत्याल
आवाज़ लगायी
जीने की वजह उसे बतायी!
मगर उसने जाना ही था,
मेरे हिस्से छोड़के तन्हाई!
कुछ आंसू बहाये,
कुछ मुस्कुराहटो के पीचे छिपाये,
फिर भी उसे रोक ना पायी,
क्यूंकी उसने जाना ही था,
मेरे हिस्से छोड़के तन्हाई!
वो जो हर सांस के साथ याद आता था,
जीने की वजह जो कहलाता था,
उसने एक दिन आखिर जाना ही था,
मेरे हिस्से छोड़के तन्हाई!
रिश्तों की, वादों की, अपनो की, प्यार की कदर है जिनको,
अक्सर उनके हिस्से आती है तन्हाई,
यही है इस जीवन की कड़वी सच्चाई...
-श्रीया कत्याल
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