खुदा की ये जो बातें हैं, इंसान के कहां समझ में
आती हैं ?
ये ठंडी हवाएं, मौसम की ये पाक अदाएं,
इंसान के समझ में कहां आती हैं ?
रुको, थमो, ठहरो ज़रा सा,
इन पर्वतों के किनारे, देखो कितना है मज़ा...
देखो आखिर कुदरत तुमसे कितना कुछ कहना चाहती है...
खुदा की ये जो बातें हैं, इंसान के कहां समझ में आती हैं ?
-श्रीया कत्याल
इंसान के समझ में कहां आती हैं ?
रुको, थमो, ठहरो ज़रा सा,
इन पर्वतों के किनारे, देखो कितना है मज़ा...
देखो आखिर कुदरत तुमसे कितना कुछ कहना चाहती है...
खुदा की ये जो बातें हैं, इंसान के कहां समझ में आती हैं ?
-श्रीया कत्याल

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